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‘थ्री-सी’ के सवालों के बीच सरकार का दावा: बिहार में घटे अपराध, गृह विभाग की रिपोर्ट से बदली बहस

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पटना।बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर लंबे समय से ‘थ्री-सी’—क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म—का मुद्दा उठता रहा है। खासतौर पर अपराध को लेकर विपक्ष के हमलों और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के अपराध बुलेटिन के बाद कानून-व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। लेकिन अब राज्य सरकार की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट ने इन आरोपों के उलट तस्वीर पेश की है।
गृह विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते वर्षों की तुलना में राज्य में अपराध की घटनाओं में गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि गंभीर अपराधों पर नियंत्रण बेहतर हुआ है और कानून व्यवस्था की स्थिति पहले से मजबूत हुई है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हत्या के मामलों में 7.72 प्रतिशत, डकैती में 24.87 प्रतिशत और दंगा से जुड़े अपराधों में करीब 18 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर राष्ट्रीय औसत की तुलना में लगभग आधी, यानी 37.5 प्रतिशत बताई गई है।
गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सख्त पुलिसिंग, सक्रिय खुफिया तंत्र और समय पर कार्रवाई के चलते कई संगीन अपराधों को अंजाम तक पहुंचने से पहले ही रोक लिया गया। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद कुमार चौधरी, डीजीपी विनय कुमार और अन्य अधिकारियों ने इस सुधार का श्रेय बेहतर प्रशासनिक समन्वय को दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल 25 कुख्यात अपराधियों के खिलाफ निरुद्ध आदेश जारी किए गए। अपराध से अर्जित संपत्ति पर कार्रवाई करते हुए 1419 आरोपियों की पहचान की गई, जिनमें से 405 मामलों को अदालत भेजा गया है। इनमें 70 मामलों में संपत्ति जब्ती की प्रक्रिया चल रही है, जबकि तीन मामलों में जब्ती का आदेश पारित हो चुका है।
इसके अलावा जनवरी से नवंबर के बीच 12 लाख से अधिक लोगों पर निरोधात्मक कार्रवाई की गई, जबकि करीब 3.81 लाख लोगों से बॉन्ड भरवाया गया। क्राइम कंट्रोल एक्ट के तहत लगभग दो हजार लोगों के खिलाफ जिला या थाना बदर की कार्रवाई भी की गई है।
कुल मिलाकर, सरकार की यह रिपोर्ट विपक्ष के आरोपों के बीच एक नया विमर्श खड़ा कर रही है। अब सवाल यह है कि ये आंकड़े राजनीतिक बहस में कितना असर डालते हैं और जनता इन्हें किस नजर से देखती है।

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